Saturday, 11 July 2020

रक्षाबंधन 2020.

हिंदू धर्म का रक्षाबंधन ये एक खास त्योहार है.

  • ये खास तौर पर बहन और भाई का त्योहार है. 
  • रक्षाबंधन मतलब भाई बहनों की हमेशा रक्षा करेगा.
  • मगर चलते समय सब इसके विपरीत हो रहा है.
अब सवाल यह है कि, 
जिस बहन का कोई भाई ना हो उस 
बहन की रक्षा कोण करेगा ? 


Sant rampalji maharaj


भाई की रक्षा कोण करेगा ? 
आप की कोण करेगा मेरी कोण करेगा ?

हम सब की रक्षा एक ही कर सकता है और वह हे पूर्ण परमात्मा । 


Almighty God is Kabir.

  संत रामपाल जी महाराज बता रहे हैं कि पूर्ण परमात्मा ही हमारी रक्षा कर सकता है इस रक्षाबंधन पर अपने देश को जाति बंधन धर्म बंधन से दूर रखने का प्रयास करना चाहिए और पूर्ण परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए जिस की गवाही हमारे सभी धर्मों के पवित्र शास्त्र दे रहे हैं कि वह पूर्ण परमात्मा कबीरजी हैं। 


बहन ने एक बंधे हुए धागे से अगर भाई उसकी रक्षा कर सकता है तो इस सृष्टि को रचने वाला वह परमात्मा की जब हम भक्ति करेंगे तो वह हमें हर सुख दे सकता है हमारी रक्षा भी कर सकता है वही पूर्ण परमात्मा है वेदों में भी कहा है की पूर्ण परमात्मा अपने साधक के पूर्ण पाप कर्म समाप्त कर सकता है और सुख दे सकता है परमात्मा के लिए नामुमकिन ऐसी कोई चीज नहीं है तो हमें रक्षाबंधन पर एक दृढ़ निश्चय करना चाहिए हम को बचाने वाला एक ही है वह है पूर्ण परमात्मा जो हमारी रक्षा करेगा बहन की रक्षा करेगा  भाई की रक्षा करेगा परिवार की रक्षा करेगा हमारे माता-पिता की रक्षा करेगा। 
संत रामपाल जी महाराज जो शास्त्र अनुकूल भक्ति बता रहे हैं जो कि वेदों में गीता बाइबल कुरान में प्रमाणित है उस भक्ति से करने से ही हमें सब लाभ मिल सकते हैं जो कि उसका प्रमाण है बाकी जो हम भक्ति कर रहे हैं उससे हमें कोई लाभ मिलने वाला नहीं है क्योंकि श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहां है कि जो शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है उसे कोई लाभ नहीं मिलने वाला है बहुत से नकली साधु संत भक्तों को गुमराह करके गलत साधना बता रहे हैं परमात्मा से मिलने वाला लाभ हमें नहीं मिल रहा है इसके लिए हमें शास्त्रों के अनुसार भक्ति करनी पड़ेगी जो कि संत रामपाल जी महाराज जी के पास है। 

Wednesday, 8 July 2020

Lord shiva.

भगवान शिव ।

यदी शिव लिंग पुजने से भगवान का लाभ लेना चाहते हो तो खागड के लिंग की पूजा करो जिससे गाय को गर्भ  होता है। उससे अमृत दुध मिलता है । आपको पता है खागड के लिंग से कितना लाभ मिलता है । फिर भी लोग उसकी पूजा नहीं करते हैं। फिर भी उसकी पूजा नहीं करते हैं क्योंकि यह बेशर्म का कार्य है।




सूक्ष्म वेद में लिखा है :-
धरे शिवलिंगा बहू विधि रंगा,
गाल बजावे गले। 
जे लिंग पूजे शिव साहिब मिले ,
तो पूजा क्यों ना खैले।



शिवलिंग पूजा अंधश्रद्धा भक्ति है ।

शिवलिंग के चारों ओर स्त्री इंद्री का चित्र होता है जिसमें शिवलिंग प्रविष्टि दिखाई देता है यह पूजा काल ब्रह्मा ने प्रचालित करके मानव समाज को दिशाहीन कर दिया वेदो तथा गीता के विपरीत साधना बता दी।


अविनाशी परमात्मा कौन ?

श्री देवी पुराण सचित्र मोटा टाइप केवल हिंदी गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित के तीसरे स्कंद  पृष्ट 123 पर श्री विष्णु जी स्वय कह रहे हैं कि हमारा जन्म मरण होता है अविनाश नहीं है।


और हमारे वेद गीता पुराण आदि सद ग्रंथों में ओम नमः शिवाय मंत्र का कोई भी प्रमाण नहीं है तो हमें इस मंत्र से कैसे लाभ मिल सकता है।
गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में कहां है ओम तत्सत इस मंत्र से ही पूर्ण मोक्ष मिल सकता है और संपूर्ण लाभ मिल सकता है तत और सत सांकेतिक है।
इसे केवल तत्वदर्शी संत ही बता सकता है जिस तरह गीता अध्याय 15 के श्लोक में चार में कहा है अर्जुन तु संपूर्ण अध्यात्म ज्ञान तत्वदर्शी संत के पास जाकर समझ वही तुझे संपूर्ण जानकारी देगा और पूर्ण परमात्मा सेे मिलाएगा।

नकली धर्मगुरुओं ने हमें गीता वेद पुराण से विपरीत साधना बताकर हमें भ्रमित कर दिया जिससे परमात्मा से मिलने वाला लाभ हमें नहीं मिल रहा है और बहुत से लोग नास्तिक हो चुके हैं।

आज के समय में केवल संत रामपाल जी महाराज जी तत्वदर्शी संत जो वेद शास्त्रों पुराणों के आधार पर भक्ति बता रहे हैं संत रामपालजी महाराज जी से नाम दीक्षा लेकर अपना कल्याण करवाएं।

Tuesday, 30 June 2020

अंध श्रद्धा भक्ति ।


अंध श्रद्धा भक्ति क्या है?


अंध श्रद्धा का अर्थ है बिना विचार-विवेक के किसी भी प्रभु में आस्था करके उसकी प्राप्ति की तड़फ में पूजा में लीन हो जाना। फिर अपनी साधना से हटकर शास्त्र प्रमाणित भक्ति को भी स्वीकार न करना। दूसरे शब्दों में प्रभु भक्ति
में अंधविश्वास को ही आधार मानना।

श्रद्धालु का उद्देश्य परमात्मा की भक्ति करके उसके गुणों का लाभ पाना होता है। श्रद्धालु अपने धर्म के शास्त्रों को सत्य मानता है। यह भी मानता है कि हमारे धर्मगुरू हमें जो साधना जिस भी ईष्ट देव की करने को कह रहे हैं, वे साधना शास्त्रों से ही बता रहे हैं क्योंकि गुरुजी रह-रहकर कभी गीता


को आधार बताकर,
कभी शिवपुराण, विष्णुपुराण, देवीपुराण, कभी-कभी चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद,
सामवेद तथा अथर्ववेद) में से किसी एक या दो वेदों का हवाला देकर अपने द्वारा बताई भक्ति विधि को शास्त्रोक्त सिद्ध करते हैं। श्रद्धालुओं को पूर्ण विश्वास होता है कि जो साधना अपने धर्म के व्यक्ति कर रहे हैं वह सत्य है।
जब वह अपने धर्म के व्यक्तियों को जैसी भी भक्ति-साधना करते हुए देखता है तो वह निसंशय हो जाता है कि ये सब वर्षों से
करते आ रहे हैं, यह साधना सत्य है। वह भी उसी पूजा-पाठ को करने लग जाता है। आयु बीत जाती है।

अंध श्रद्धा भक्ति :- एक-दूसरे को देखकर की जा रही भक्ति यदि शास्त्रोक्त (शास्त्र प्रमाणित) नहीं है तो वह अंधविश्वास यानि अंध श्रद्धा भक्ति मानी जाती है।

जो ज्ञान शास्त्रों के अनुसार नहीं होता, उसको सुन-सुनाकर या देखकर उसी के आधार से साधना करते रहना। वह साधना जो शास्त्रों के विपरीत है, बहुत हानिकारक है उससे अनमोल मानव जीवन नष्ट हो जाता है। जो भक्ति साधना शास्त्रों में प्रमाणित नहीं है,
उसे करना तो ऐसा है जैसे आत्महत्या कर ली हो। आत्महत्या करना महापाप है। इससे अनमोल मानव जीवन नष्ट हो जाता है।
इसी प्रकार शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करना यानि अज्ञान अंधकार के कारण अंध श्रद्धा के आधार से भक्ति करने वाले का अनमोल मानव जीवन नष्ट हो जाता है क्योंकि पवित्र श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में बताया है कि :-
जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है यानि किसी को देखकर या किसी के कहने से भक्ति साधना करता है तो उसको न तो कोई सुख प्राप्त होता है, न कोई सिद्धि यानि भक्ति की शक्ति प्राप्त होती है, न उसकी गति होती है।






शास्त्र विरुद्ध भक्ति कौनसी होती है।
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जिस भक्ति साधना का प्रमाण पवित्र गीता जी और वेदों में नहीं है वह शास्त्र विरुद्ध अंध भक्ति तथा पाखंड पूजा है। जैसे 👇
एक पूर्ण परमेश्वर को छोड़कर ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा अन्य देवी देवताओं की पूजा ईष्ट रूप में करना, मूर्ति पूजा करना, तीर्थ और धामों पर मोक्ष उद्देश्य से जाना, कांवड लाना, गंगा स्नान करना, श्राद्ध, पिंडदान, तेरहवी करना, व्रत करना ये सब शास्त्र विरुद्ध भक्ति साधना है।




गीता अध्याय 16 श्लोक 24 :– इसमें स्पष्ट किया है कि ‘‘इससे तेरे लिए अर्जुन! कर्तव्य यानि जो भक्ति क्रियाऐं करनी चाहिए तथा अकर्तव्य यानि जो भक्ति क्रियाऐं नहीं करनी चाहिए, की व्यवस्था में शास्त्रों में वर्णित भक्ति क्रियाऐं ही प्रमाण हैं यानि शास्त्रों में बताई साधना कर। जो शास्त्र विपरीत साधना कर रहे हो, उसे तुरंत त्याग दो।’’
शास्त्रनुसार सतभक्ति जानने के लिए अवश्य देखें तत्वज्ञान सत्संग–
“साधना चैनल” प्रतिदिन रात 7:30 से 8:30 बजे।

“ईश्वर चैनल” प्रतिदिन रात 8:30 से 9:30 बजे।


Thursday, 25 June 2020

Jagannath puri.


Jagannath Puri ki sachyai logo ko Abhi tak pata Nahi he ki jagannath temples God Kabir ji ne banaya he. Eak indradaman nam ka Raja tha us raja ke sopan me God Vishnu ne a Kar khaha rajan eak tempal banva de or uska nam jagannath rakh dena  magar usme murti nahi honi Chahiye or kaoi pakhand Puja bhi nahi honi Chahiye .usme Eak pandit ji ko bithana or shrimad Bhagavad Gita ka path chalu Karna Koi pakhand Puja Nahi Karna. 
                                                   Bhagvan ne Raja ke sopan me o sthan dikha diya samundar ke kinare. Raja jab subha utha to bhaut khush hua. Or apni patni ko jo bhi dikha sab bata diya patni bhi khush hui or kaha apke pas to itna dhan he to banva lijiye bhaut achai bat he .


Jagannath photos



                                                To raja ne mandir banavne vale karigar ko bulaya or mandir ka naksha banaya mandir banke tayar ho gaya or agle di Puja rakhi agle din hone se Pahale hi samundar ne o mandir tod diya Yese 3-4 bar mandir banaya Fir samundar ne tod diya. 
                                           Raja to bhaut dukhi ho gaya ro raha or kah raha muz per bhagvan ne  bharosa karke mandir banane ko kaha muz nich se utna bhi nahi ho raha he abto Sara khajana bhi khatam ho gaya he. Tab patni ne kaha chinta na Karo mere gahane leke jao Ap . Itne me udhar gorakhnath a gaya or ka mandir banva rahe ho usme murti nahi he tab raja ne kaha bhagvan ne bola he murti nahi honi Chahiye. Gorakhnath ne eye lal karli or kaha esme murti honi Chahiye . Tab raja ghabra gai kahi sadhu shrap na de de tab murti banavne ka kam bhi chalu kiya magar murti nahi ban rahi thi bar bar tut rahi thi tab Kabir bhagvan ne bana di thi magar gorakhnath ke galti ke karn uske hath or per nahi ban paye. 
Ap ko iski sahi jankari is video me milegi 
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Or jo mandir bar bar tut raha tha usko bhi parmeshur Kabir ji ne hi banvaya tha. 

Sant rampalji maharaj ji apne shastro per adharit purn parmatma ki jankari batate he jiski bhakti karne se hamara mokha bhi ho ga or sare sukh bhi mileage. 


Saturday, 20 June 2020

Bhakti Yoga : योग दिन।


 गीता अनुसार असली योग भक्ति योग है। 

पूर्ण सतगुरु सन्त रामपाल जी महाराज जी ने वास्तविक योग भक्ति योग बताया है जिससे हर प्रकार की बीमारियां समाप्त होती हैं। तथा पुरनमोक्ष मिलता है। योग करने से शरीर स्वस्थ हो सकता है लेकिन मुक्ति नहीं होती। मुक्ति तो सच्चे मंत्रों के जाप करने से ही होगी, शास्त्रों के अनुसार भक्ति करने से होगी।
हठ योग करने के लिए गीता जी मे भी मना है इसलिए एक स्थान पर बैठकर साधना करने से भक्ति सफल नहीं हो सकती
संत रामपाल जी महाराज जी ने सहज भक्ति योग के बारे में सर्व शास्त्रों से प्रमाणित करके बताया है कि मनुष्य को पूर्ण लाभ केवल भक्ति योग से होगा।



🧘🏻‍♂️ गीता अध्याय 6 लोग 16 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि यह योग ना तो बहुत अधिक खाने वाले का सिद्ध होता है और नहीं बिल्कुल न खाने वाले का।अर्थात नियम कर्तव्य कर्म करते हुए पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति करना ही असली योग है।
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भक्ति योग क्यों ज़रूरी है?

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग ज़रूरी है।
लेकिन
आत्मा को स्वस्थ रखने के लिए भक्ति योग (सतभक्ति) ज़रूरी है।
भक्तियोग से होने वाले लाभ :

●शारीरिक , मानसिक और आर्थिक लाभ
● पाप कर्मों से मुक्ति।
●जीवन में सुख, शांति व खुशियों में वृद्धि।
●मोक्ष की प्राप्ति। आदि।

सत्य भक्तियोग विधि जानें पूर्ण संत Saint Rampal Ji Maharaj से।

🧘🏻‍♂️गीता अध्याय 2 श्लोक 64, 65 में कहा गया है कि शास्त्रविधि अनुसार पूर्ण परमात्मा की साधना करने वाला साधक, संसार में रहकर काम करता हुआ, परिवार पोषण करता हुआ भी सत्य साधना से सुखदाई मोक्ष को प्राप्त होता है।



🧘🏻‍♂️गीता अध्याय 2 श्लोक 48 में कहा गया है कि आसक्ति को त्यागकर जय तथा पराजय में सम बुद्धि होकर योग यानि सत्य साधना में लगकर भक्ति कर्म कर। गीता जी में योग का अर्थ भक्ति कर्म करना बताया गया है।
गीता अध्याय 17 श्लोक 5 ,6 में शास्त्र विधि को त्याग कर , घोर तप को तपते हैं। उनको राक्षस बताया है गीता ज्ञान दाता ने।
💥🌹 सैकड़ों योगिक गुरू अपनी अपनी योगिक क्रियाओं को उत्तम बताते हैं। परंतु मनुष्य को योगिक क्रियाओं की नहीं भक्ति योग की अति आवश्यकता है। जिससे  आत्मिक उन्नति व मोक्ष का द्वार खुलेगा।
गीता अध्याय 3 श्लोक 5 से 8 में प्रमाण है कि जो एक स्थान पर बैठकर हठ योग करके इन्द्रियों को रोककर साधना करते हैं वे पाखण्डी हैं।
संतों की वाणी है
डिंब करें डूंगर चढ़े, अंतर झीनी झूल।
जग जाने बंदगी करें, ये बोवैं सूल बबूल।।



जो रोग योग करने से ठीक नही होते है वे रोग पूर्ण गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा बताई गई सतभक्ति से ठीक हो जाते है ।

भक्तियोग श्रेष्ठ क्यों माना गया है?

उत्तर - क्योंकि इससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बिना डॉक्टरी ईलाज के ही अपने आपको ठीक किया जा सकता है।

Saint Rampal Ji Maharaj से नाम दीक्षित लाखों अनुयायी इसकी गवाह है।
हमें मनुष्य जन्म बहुत ही भाग से मिला है तो हमें पूर्ण गुरु से उपदेश लेकर के भक्ति योग करना चाहिए ।

वास्तविक योग भक्ति योग है जिसे शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है।
अधिक जानकारी के लिए देखे साधना टीवी पर 7:30 से 8:30 PM तक संत रामपाल जी महाराज जी के अमृत वचन।

Tuesday, 21 April 2020

Shrimad Bhagavad Gita.

Chapter 4 verse 5 by sant rampalji maharaj 
Oh parantap arjun!  You and I have had several births. You do not know all of them but I know .


Does shri Krishna in Bhagavad Gita. Talk about some other Supreme God.


Anami lok Shrimad Bhagavad Gita 2:51.
One practices bhajan according to the scriptures he after going to satlok then goes to Anami lok beyond that in other words the disease of birth and death will end.


Srimad Bhagavad Gita Chapter 15:16, 2 gods have been mentioned –Kshar Purush, Akshar Purush. These are mortal.
Verse 17 says 3rd God, Param Akshar Purush is the root of the world-like tree. In reality, He is immortal
-Sant Rampal Ji Maharaj




Chapter 17 verses 24 .
In the jaap of the three mantras commencement is from om mantra through breath .


Shrimad Bhagavad Gita chapter 18 verse 64 by Saint rampalji maharaj.
I will again say the most confidential of all secret my utmost mysterious beneficial words to you listen to these - this purna Brahma is my definite revered deity .



Wednesday, 25 March 2020

Prophet in the world.

Prophets in the world 


All the prophets in the world have predicted about this time i.e. 2020, that this is going to be a terrible time for the whole human race!
Incidentally, you are the leader of our country at this time, so it is your responsibility to pray to Sant rampalji who can give the solution to this epidemic crisis and save the country from this epidemic!



According to the famous foretellers (Nostradamus, Florence, etc.), Saint Rampal Ji Maharaj is the only great saint who can put an end to the incurable Coronavirus. through his spiritual power.



Sant rampalji  Maharaj tells in his spiritual sermons that if you undertake true devotion of the Supreme Almighty Kabir Saheb by taking initation from him and adhering to the rules, then there is a possibility of getting cured from serious diseases even if it is Coronavirus .


Italy mein koharaam machega, London saagar mein doobega.
yuddh teesra pralayankaaree, jo hoga bhaari sanhaari.

I would like to request the government to recognize Sant Rampal there is till time. This saint wants to make India the world's spiritual guru.



Sant rampalji Maharaj racconta nei suoi discorsi spirituali che se intraprendi la vera devozione del Supremo Onnipotente Kabir Saheb prendendo l'iniziazione da lui e aderendo alle regole, allora c'è la possibilità di guarire da gravi malattie anche se si tratta del Coronavirus.



Enlightened saint, Sant Rampal Ji Maharaj" has been telling through his spiritual sermons since nearly two decades that spiritual knowledge is superior to science. Today, science has succumbed to corona virus. With spiritual knowledge, knowledge of the Supreme Almighty, His qualities is possible which can overcome our troubles.



Rispettabile signor  Conte , sono stato associato a Sant Rampal Ji Maharaj negli ultimi anni e ogni sua affermazione ha portato al progresso nella mia vita!
Le sue affermazioni sono vere al 100%. Oggi vi chiedo che solo con il suo potere spirituale l’Italia possa sopravvivere allo scoppio di questa pandemia!
Dovresti pregare Sant Rampal Ji e liberare il paese da questa pandemia!



Il santo illuminato, Sant Rampal Ji Maharaj racconta attraverso i suoi discorsi spirituali da quasi due decenni che la conoscenza spirituale è superiore alla scienza. Oggi la scienza ha ceduto al Coronavirus.Con la conoscenza spirituale, la conoscenza del Supremo Onnipotente, le sue qualità sono possibili che può superare i nostri problemi.



Caos in Italia , Londra affogherà nel mare.
Olocausto della terza guerra, il quale sarà pesante per l’intera umanità.

Vorrei chiedere al governo di riconoscere Santo Rampal ji Maharaj. Questo santo vuole rendere l'India il guru spirituale del mondo.



Grazie al potere spirituale del Grande Santo Rampal Ji Maharaj, anche le malattie gravi di milioni di persone sono finite. Oggi, il paese e il mondo si trovano ad affrontare un drastico problema come il coronavirus. Siamo fiduciosi che  il Grande Santo Rampal Ji Maharaj possa eliminare questo problema, quindi, Primo Ministro Giuseppe Conte, ti viene chiesto di parlare con lui e prendere alcune decisioni.


Tuesday, 28 January 2020

⚡Constitution Of Supreme God⚡

Constitution Of Supreme God

अगर हम भगवान के संविधान पर चले तो परमात्मा जो चाहे सो कर दे।

यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा तो घोर पाप को भी नष्ट कर देता है शास्त्र अनुकूल सत Bhakti करने से कैंसर जैसी भयानक बीमारी भी ठीक हो जाती है।

84 लाख योनि में मनुष्य को गधा कुत्ता बनकर कष्ट नहीं भोगने पड़ेंगे सत भक्ति से मनुष्य का जन्म मरण का रोग छूट जाता है।


नाचना गाना निंदा करना जुआ खेलना जीव हिंसा करना परस्त्री से अवैध संबंध बनाना रिश्वत लेना झूठ बोलना चोरी करना यह सब भगवान के संविधान के विरुद्ध है यह अपराध करने वाले मृत्यु के उपरांत नरक में जाकर घोर कष्ट उठाते हैं।


छुआछूत ऊंचा नीचा जाति पात मान बड़ाई किसी को छोटा समझना उस की जाति को गाली देना यह सब परमात्मा के विधान के खिलाफ है हम सब एक ही परमात्मा के बंदे हैं.

जीव हमारी जाति है मानव धर्म हमारा
 हिंदू मुस्लिम सिख इसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।

सबका मालिक एक है भगवान खुदा अल्लाह आदि नाम एक ही प्रभु के हैं। भगवान के बंटवारे तो लोगों ने कीये है जाति पति पर लोग लड़ रहे हैं यह जो हो रहा है वह भगवान के संविधान के खिलाफ है हम सब भाई भाई हैं सबने मिल जुल कर रहना चाहिए तभी भगवान प्रसन्न होंगे।



गरीब दास जी ने अपनी वाणी में बताया है की हुक्का पीने वाला शराब पीने वाला परस्त्री से अवैध संबंध बनाने वाले को कितना कष्ट भोगना पड़ता है।

गरीब, सोनारी जारी करे सुरा पान सौ बार। एक चिलम हुक्का भरे  डूबे काली धार ।। हुक्का हरदम पिवते लाल मिलावे धुर इसमें संशय है नहीं जन्म पिछले सूअर।।

इसका अर्थ है कि एक चिलम भर कर हुक्का पीने वाले को देने से भरने वाले को जो पाप लगता है वह सुनो एक बार परस्त्री गमन करने वाला एक बार शराब पीने वाला एक बार मांस खाने वाला पाप के कारण उपरोक्त कष्ट भोगता है। सौ स्त्रियों से भोग करें और 100 बार शराब पिए उसे जो पाप लगता है वह पाप एक चिलम भरकर हुक्का पीने वाले को देने वाले को लगता है।


Saturday, 18 January 2020

⚡Nostradamus prediction ⚡

 Nostradamus  prediction about Saint rampalji maharaj .


 जी हा आज हम उस महान संत के बारे में बता रहे हैं जिसके जन्म से पहले ही उनकी आने की भविष्य वक्ताओं ने भविष्यवाणी कर दी थी हम बात कर रहे हैं संत रामपाल जी महाराज के बारे में आइए जानते हैं उनके बारे में भविष्यवाणी।

Nostradamus :-
उनकी भविष्यवाणी के अनुसार उस तत्व दृष्टया शायरण का आध्यात्मिक जन्म होगा उस दिन अंधेरी अमावस्या होगी उस समय उस विश्व नेता की आयु तरुण नहीं होगा बल्कि वह प्रौढ़ होगा और वह 50 और 60 वर्ष के बीच की उम्र में संसार में प्रसिद्ध होगा वह 2006 होगा।

उन्होंने कहा था की उस महान संत का जन्म स्वतंत्रता के 4 वर्ष बाद होगा यानी कि 1951 में होगा और संत रामपाल जी महाराज जी का जन्म 8 सितंबर 1951 में हुआ था.

नास्त्रोदमस शतक 1 श्लोक 50 में प्रमाणित कर रहा है) तीन ओर से सागर से घिरे द्वीप में उस महान संत का जन्म होगा।
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के अनुसार वह महान संत रामपाल जी है जिन की अध्यक्षता में पूरे विश्व में शांति स्थापित होगी एक ज्ञान होगा एक झंडा होगा।

बाबा जयगुरुदेव :- मथुरा वाले बाबा जय गुरुदेव जीने 7 सितंबर 1971 में एक भविष्यवाणी की थी कि लोग जिसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं वह अवतार आज 20 साल का हो चुका है। अभी मैंने उसका पता बता दिया तो लोग उसके पीछे लग जाएंगे मगर ऊपर से आदेश नहीं है।
और 8 सितंबर 1971 में संत रामपाल जी महाराज पूरे 20 साल के हो चुके थे यह भविष्यवाणी उनके ऊपर सटीक बैठती है।

जीन डिक्शन :- 
अमेरिका की महिला भविष्यवक्ता जिन डिक्शन के अनुसार 20 वि सदी के अंत से पहले विश्व में घोर हाहाकार तथा मानवता का संहार होगा वैचारिक युद्ध के बाद आध्यात्मिक पर आधारित एक नई सभ्यता संभवत भारत के ग्रामीण परिवार के व्यक्ति के नेतृत्व में जन्मे गी ।

फ्लोरेन्स:- मैं जब भी ध्यान लगाती हूं तो मुझे एक संत दिखाई देता है। उस संत की विचारधारा से समाज में एक नई जन जागृति आएगी लोगों में एक अलग विचारधारा आएगी।
लोक शक्ति का एक नया रूप उभर कर सामने आएगा। उस संत के ऊपर ऊपर से कोई एक नई शक्ति निरंतर आ रही है उसके सफेद बाल है ना उसको दाढ़ी मूछ है।

आनंन्दचार्य:-  नार्वे के श्री आनन्दाचार्य की भविष्यवाणी के अनुसार, सन् 1998 के बाद एक शक्तिशाली धार्मिक संस्था भारत में प्रकाश में आयेगी, जिसके स्वामी एक गृहस्थ व्यक्ति की आचार संहिता का पालन सम्पूर्ण विश्व करेगा। 

जूल वर्न :-
जुल वर्ण एक सुप्रसिद्ध फ्रांसीसी लेखक और भविष्य वक्ता है उनकी अनेकों भविष्यवाणियां सत्य सिद्ध हो चुकी है भारत को लेकर उन्होंने एक भविष्यवाणी कि है। 

भारतवर्ष में बीसवीं सदी के मध्य में इतिहास के सबसे समर्थ व्यक्ति का जन्म हो चुका है जो आध्यात्मिक क्रांति का सूत्रपात करेगा इस क्रांति से ईश्वर एवं आत्मा के नए रहस्य प्रकट होंगे ।
बाहर से उठे आध्यात्मिक तूफान देखते देखते पूरे विश्व में फैल जाएगा और लोगों में नई अध्यात्म क्रांति आएगी।


और भी कई भविष्य वक्ताओं ने संत रामपाल जी महाराज जी के बारे में भविष्यवाणियां की है उनको सविस्तर से जाने के लिए इस वीडियो को देखना ना भूलें




संत रामपाल जी महाराज ही वह महापुरुष है जो दुनिया में शांति लायेंगे एक झेंडा एक भाषा होगी संत रामपाल जी विश्व में शांति ला सकते हैं गुंडागर्दी चोरी रिश्वतखोर बलात्कार इन सभी बुरायोंका अंत कर सकते हैं भारत में फिर से स्वर्ण युग आएगा।
















Thursday, 16 January 2020

⚡सत भक्ती से बुराईयों का अंत ⚡

True worship Bhakti


संत रामपाल जी महाराज शास्त्र के अनुसार Bhakti बताते हैं जिसको करने से मनुष्य की नशा, चोरी ,रिश्वत खोरी सभी बुराइयां दूर हो जाती है.

सतभक्ति करना ज़रूरी_है
84 लाख योनियों में महा कष्ट भोगने से बचने के लिए सत भक्ति करना अति आवश्यक है।
समय रहते सत भक्ति तथा शुभ कर्म नहीं की तो अगले जन्म में पशु, पक्षी आदि का जीवन प्राप्त करके महा कष्ट उठाने पड़ेंगे।
भक्ति से आर्थिक, मानसिक और शारीरिक सुख होता है। इसलिए भक्ति करना जरूरी है।


आजकल लोग बहुत Movie देख रहे हैं और उसमें चोरी बलात्कार गुंडागर्दी ऐसी चीजें दिखाते हैं और इसी चीजों को देखकर समाज में बुराइयां फैल रही है मगर संत रामपाल जी महाराज जी का शिष्य बनने के लिए Movie देखना मना है इसी से ऐसी चीजों के लिए रोक लग जाती है.
 धन से बात नही बनेगी सतलोक जाने के लिए आध्यात्मिक धन का होना सत भक्ति जरूरी है ।
सतभक्ति अति आवश्यक है क्योंकि स्तभक्ति बिना मोक्ष असम्भव है।
मानव जीवन में सतभक्ति नहीं की तो परमात्मा के विधान अनुसार चौरासी में महाकष्ट उठाना पड़ता है। सतभक्ति पूर्ण सन्त ही बताते हैं और वर्तमान में पूर्ण संत संत रामपाल जी महाराज जी है 🙏🙏




भक्ति से हमारे सभी दुख दूर होते हैं और हमे जन्म मरण से भी छुटकारा मिल जाता है
हमारा मोक्ष हो जाता है
Saint Rampal Ji Maharaj 

एक प्रकार से संत रामपाल जी महाराज जीने समाज से बुराइया खत्म करने की ठान ली है।


और तों और इनके शिष्य ना Dowry देते हैं ना Dowryलेतेे हे । दहेज मुक्त समाज का निर्माण कर रहे हैं और अब किसी भी बेटी को दहेज की आग में ना पड़ेगा।

फारसी भाषा में तमा गाय को कहते हैं खू यानी रक्त को कहते हैं। यह तंबाकू गायक के रक्त से उपजा है। मानव तेरे को 100 बार  सौगंद है कि इस तंबाकू का सेवन किसी भी रूप में मत करो। 
 Sant rampalji maharaj 

सच्ची भक्ति करने से मर्यादा में रहकर भक्ति करने से संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई शास्त्र अनुसार भक्ति करने से भगवान भयंकर से भयंकर पापों का विनाश कर देता है और साधक की आयु बढ़ा देता है जो ब्रह्मा विष्णु महेश भी नहीं बढ़ा सकते हैं



⚡Cure Cancer By_TrueWorship⚡

True worship qured cancer. 

शास्त्र अनुकूल भक्ति करने से ऐसे ठीक होता है Cancer.
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सतभक्ति से ही हमारे पाप नष्ट हो सकते हैं और चौरासी लाख योनियों तथा जन्म मरण का चक्र समाप्त हो सकता है।   इससे भूत-प्रेत, पित्तर-भैरव-बेताल  असाध्य रोग cut जाते हैं सत भक्ति करने से हम देव बनते हैं ।

सतभक्ति इसलिए आवश्यक है क्योंकि  इससे ही रोग नाश हो सकते हैं।
असाध्य बीमारियों का इलाज सतभक्ति से ही संभव है।
इसलिए सतभक्ति अपनाएं, जीवन सफल बनायें।
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इस दुनिया में सिर्फ रामपाल जी महाराज शास्त्र के अनुसार भक्ति बताते हैं इससे कैंसर एड्स जेसी लाइलाज बीमारियां ठीक हो जाती है।


कई लोगों को ऐसी बीमारी होती है जिस को ठीक करना डॉक्टर के बस की बात नहीं है फिर डॉ मेडिसिन चालू करते हैं और कहते हैं देखते हैं आगे क्या होगा मगर संत रामपाल जी महाराज जो शास्त्र के अनुसार भक्ति बताते  हैं उसी से किसी भी प्रकार की बीमारियां ठीक हो जाती है हम भक्ति करते हैं ताकि भगवान से हमें राहत मिले मगर हमें राहत तभी मिल सकती है जब हम शास्त्र के अनुसार भक्ति करें।




यजुर्वेद अध्याय 8 के मंत्र 13 में कहां है कि पूर्ण परमात्मा तो घोर पाप को भी नष्ट कर देता है.

ऐसे होता है सत भक्ति से सभी बुराइयों का अंत.

 तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा सतभक्ति लेकर लेकर लाखों लोगों ने नशा चोरी जारी   दहेज लेना देना  अन्य सभी प्रकार की सभी प्रकार की बुराइयों को त्याग कर सत भक्ति करके अपना मानव जीवन सफल बना रहे हैं अधिक जानकारी पढ़े पुस्तक जीने की राह ।

सत भक्ती संदेश

भक्ति_सौदागर_को_संदेश

जीव_हमारी_जाति_है_मानव_धर्म_हमारा
हिन्दु_मुसलिम_सिक्ख_ईसाई_धर्म_नहीं_कोई_न्यारा

              आज से लगभग पाँच_हजार_वर्ष पहले कोई भी धर्म या अन्य सम्प्रदाय नहीं था। न हिन्दु, न मुसलिम, न सिक्ख और न ईसाई थे। केवल मानव_धर्म था। सभी का एक ही मानव धर्म था और है। लेकिन जैसे-2 कलयुग का प्रभाव बढ़ता गया वैसे-2 हमारे में मत-भेद होता गया। कारण सिर्फ यही रहा कि धार्मिक कुल गुरुओं द्वारा शास्त्रों में लिखी हुई सच्चाई को दबा दिया गया। कारण चाहे स्वार्थ हो या ऊपरी दिखावा। जिसके परिणाम स्वरूप आज एक मानव धर्म के चार धर्म और अन्य अनेक सम्प्रदाय बन चुके हैं। जिसके कारण आपस में मतभेद होना स्वाभाविक ही है। सभी_का_प्रभु_भगवान_राम_अल्लाह_रब_गोड_खुदा_परमेश्वर_एक_ही_है। ये भाषा भिन्न पर्यायवाची शब्द हैं। सभी मानते हैं कि सबका मालिक एक है लेकिन फिर भी ये अलग-अलग धर्म सम्प्रदाय क्यों ?

     यह बात बिल्कुल ठीक है कि सबका मालिक/रब/खुदा/अल्लाह/गोड/ राम/परमेश्वर एक ही है जिसका वास्तविक_नाम_कबीर_है और वह अपने सतलोक/सतधाम/सच्चखण्ड में मानव सदृश स्वरूप में आकार में रहता है। लेकिन अब हिन्दु तो कहते हैं कि हमारा राम बड़ा है, मुसलिम कहते हैं कि हमारा अल्लाह बड़ा है, ईसाई कहते हैं कि हमारा ईसामसीह बड़ा और सिक्ख कहते हैं कि हमारे गुरु नानक साहेब जी बड़े हैं। ऐसे कहते हैं जैसे चार नादान बच्चे कहते हैं कि यह मेरा पापा, दूसरा कहेगा यह मेरा पापा है तेरा नहीं है, तीसरा कहेगा यह तो मेरा पिता जी है जो सबसे बड़ा है और फिर चैथा कहेगा कि अरे नहीं नादानों! यह मेरा डैडी है, तुम्हारा नहीं है। जबकि उन चारों का पिता वही एक ही है। इन्हीं नादान बच्चों की तरह आज हमारा मानव समाज लड़ रहा है।

कोई_कहै_हमारा_राम_बड़ा_है_कोई_कहे_खुदाई_रे।
#कोई_कहे_हमारा_ईसामसीह_बड़ा_ये_बाटा_रहे_लगाई_रे।।‘‘

     जबकि हमारे सभी धार्मिक ग्रन्थों व शास्त्रों में उस एक प्रभु/मालिक/रब/खुदा/अल्लाह/ राम/साहेब/गोड/परमेश्वर की प्रत्यक्ष नाम लिख कर महिमा गाई है कि वह_एक_मालिक_प्रभु_कबीर_साहेब_है_जो_सतलोक_में_मानव_सदृश_स्वरूप_में_आकार_में_रहता_है।


     वेद, गीता, कुरान और गुरु ग्रन्थ साहेब ये सब लगभग मिलते जुलते ही हैं।     
          यजुर्वेद के अ. 5 के श्लोक नं. 32 में, सामवेद के संख्या नं. 1400, 822 में, अथर्ववेद के काण्ड नं. 4 के अनुवाक 1 के श्लोक नं. 7, ऋग्वेद के म. 1 अ. 1 के सुक्त 11 के श्लोक नं. 4 में कबीर नाम लिख कर बताया है कि पूर्ण ब्रह्म कबीर है जो सतलोक में आकार में रहता है।
#गीता_जी_चारों_वेदों_का_संक्षिप्त_सार_है।
गीता जी भी उसी सतपुरुष पूर्ण ब्रह्म कबीर की तरफ इशारा करती है। #गीता जी के अ. 15 के श्लोक नं. 16.17, अ. 18 के श्लोक नं. 46, 62 अ. 8 के श्लोक नं. 8 से 10 तथा 22 में, अ. 15 के श्लोक नं. 1,2,4 में उसी पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने का इशारा किया है।

 #श्री_गुरु_ग्रन्थ_साहेब पृष्ठ नं. 24 पर और पृष्ठ नं. 721 पर नाम लिख कर कबीर साहेब की महिमा गाई है। इसी प्रकार कुरान और बाईबल एक ही शास्त्र समझो। दोनों लगभग एक ही संदेश देते हैं कि उस कबीर अल्लाह की महिमा ब्यान करो जिसकी शक्ति से ये सब सृष्टी चलायमान हैं। #कुरान_शरीफ में सूरत फूर्कानि नं. 25 की आयत नं. 52 से 59 तक में कबीरन्, खबीरा, कबीरू आदि शब्द लिख कर उसी एक कबीर अल्लाह की पाकि ब्यान की हुई है कि ऐ पैगम्बर (मुहम्मद)! उस कबीर अल्लाह की पाकि ब्यान करो जो छः दिन में अपनी शक्ति से सृष्टी रच कर सातवें दिन तख्त पर जा बिराजा अर्थात् सतलोक में जा कर विश्राम किया। वह अल्लाह (प्रभु) कबीर है। इसी का प्रमाण #बाईबल के अन्दर उत्पत्ति ग्रन्थ में सृष्टी क्रम में  बाईबल के प्रारम्भ में ही सात दिन की रचना में 1:20-2:5 में है।

                सभी संतों व ग्रथों का सार यही है कि पूर्ण गुरु जिसके पास तीनों नाम है और नाम देने का अधिकार भी हो से नाम ले कर जीव को जन्म-मृत्यु रूपी रोग से छुटकारा पाना चाहिए। क्योंकि हमारा_उद्देश्य काल की कारागार से छुटवा कर अपने मूल मालिक कविर्देव (कबीर साहेब) के सतलोक को प्राप्त करना है। कविर्देव ने अपनी वाणी में कहा है कि एक जीव को काल साधना से हटा कर पूर्ण गुरू के पास लाकर सत उपदेश दिलाने का पुण्य इतना होता है कि जितना करोड़ गाय-बकरें आदि प्राणियों को कसाई से छुटवाने का होता है। क्योंकि यह अबोध मानव शरीर धारी प्राणी गलत गुरुओं द्वारा बताई गई शास्त्र विरूद्ध साधना से काल के जाल में फंसा रह कर न जाने कितने दुःखदाई चौरासी लाख योनियों के कष्ट को झेलता रहता है। जब यह जीवात्मा कविर्देव (कबीर साहेब) की शरण में पूरे गुरू के माध्यम से आ जाती है, नाम से जुड़ जाती है तो फिर इसका जन्म तथा मृत्यु का कष्ट सदा के लिए समाप्त हो जाता है और सतलोक में वास्तविक परम शांति को प्राप्त करता है।

               अब प्रश्न आता है कि आजकल गुरु ज्यादा से ज्यादा शिष्य बना कर अपनी योग्यता का प्रमाण दिखाते हैं अर्थात् हर कोई चार कथा सीख लेता है और कहता कि मैं भी नाम दे देता हूँ और भोली आत्माओं को काल के जाल में डाल देता है। चूंकि शास्त्रों के विरूद्ध नाम उपदेश देने वाले और जपने वाले सभी निश्चित ही नरक के अधिकारी होंगे और उनको नरक में उल्टा लटकाया जाएगा। यह कथन शास्त्रा (गीता, वेद व सर्व ग्रन्थ) ही बताते हैं। इसी कथन को सिद्ध करने के लिए एक संक्षिप्त कथा बताता हूँ।

                एक समय की बात है कि सभी को पता चला कि राजा परिक्षित को सातवें दिन सर्प डसेगा और उसकी मृत्यु होगी। इस बात का पता लगने पर सभी ने सोचा कि सात दिनों तक राजा परिक्षित को भागवत् की कथा सुनाई जाए ताकि इसका यहाँ से मोह हट जाए और प्रभु के चिंतन में लग जाए। क्योंकि मरते समय जिसकी जैसी भावना होती है वह उसी को प्राप्त होता है। सभी ने कहा कि अति उत्तम है। लेकिन अब कथा करे कौन? इस प्रश्न पर प्रश्नवाचक चिन्ह लग जाता है। इस समय वहाँ उपस्थित सभी महर्षियों ने यहाँ तक कि #श्रीमद्_भागवत्_सुधा_सागर_के_रचयिता_महर्षि_वेद_व्यास_जी ने भी अपने आपको कथा सुनाने के योग्य नहीं समझा। क्योंकि उनको पता था कि हमारे अन्दर यह समर्थता नहीं है। इसलिए क्यों एक जीव के जीवन को नष्ट करके पाप के भागीदार बनें। चूंकि साँतवें दिन परिणाम आना था। इसलिए सात दिन तक कथा सुनाने की किसी की हिम्मत नहीं पड़ी। चूंकि सभी को अपनी औकात का पता होता है। स्वर्ग से सुखेदव_जी को भागवद् की कथा करने के लिए बुलाया गया और तब राजा परिक्षित का मोह यहाँ से हटा और स्वर्ग की प्राप्ति हुई। स्वर्ग में सुख भोगने के पश्चात् वापिस नरक में और फिर लख चौरासी में चक्कर काटेगा। ये यहाँ का हार्ड_एण्ड_फास्ट_रूल है अर्थात् अटल_नियम है। यह उपलब्धि भी तीन लोक के पूर्ण गुरु बिना प्राप्त नहीं हो सकती।

                ठीक इसी प्रकार जब किसी स्थान पर प्रधानमन्त्री आ रहा हो तो उनके आने से पहले दो-तीन बहुत अच्छे वक्ता/गायक व तबले-बैंजू बजाने वाले होते हैं जो बहुत सुरीली और आकर्षक आवाज से दर्शकों को प्रभावित करते हैं। लेकिन वे जो कह रहे हैं उनमें से एक बात भी करने में सक्षम नहीं हैं। लेकिन जब प्रधान मन्त्री आता है तो वह कम से कम शब्दों में कहता है कि आगरा में इन्टरनेशनल कॉलेज बनवा दो, चण्डीगढ़ में इन्टरनेशनल युनिवर्सिटी बनवा दो आदि-2 सिर्फ इतना कह कर पी. एम. साहब चले जाते हैं। उनके कहने से अगले दिन ही वह कार्य प्रारम्भ हो जाता है क्योंकि उनके वचन में शक्ति है और यदि यही बात आप और मेरे जैसा आम_व्यक्ति कहे तो हमारी बड़ी मूर्खता होगी क्योंकि हमारे वचन में इतनी शक्ति नहीं है। जबकि #प्रधानमन्त्री के लिए ये सब साधारण बात है।

                इन तथ्यों को प्रमाणित करने के लिए कुछ निम्नलिखित वाणियाँ अवश्य पढ़ें और गहन विचार करें।

कबीर, पंडित और मशालची, दोनों सूझैं नाहिं।
औरों ने करैं चांदना, आप अंधेरे माहिं।।
कबीर, करणी तज कथनी कथैं, अज्ञानी दिन रात। कुकर ज्यों भौंकत फिरैं, सुनी सुनाई बात।।
गरीब, बीजक की बातां कहैं, बीजक नाहिं हाथ।
पृथ्वी डोबन उतरे, कहै-कहै मीठी बात।।
गरीब, बीजक की बातां कहैं, बीजक नाहिं पास।
औरों को प्रमोध हीं, आपन चले निराश।।
गरीब, कथनी के शूरे घने, कथैं अटम्बर ज्ञान।
बाहर ज्वाब आवै नहीं, लीद करैं मैदान।।

                कथा करना व नाम उपदेश देना कोई बच्चों का खेल नहीं है कि ली काख में पोथी चलो मैं भी कथा कर देता हूँ, चलो मैं भी रामायण का पाठ कर देता हूँ, गीता जी का पाठ कर देता हूँ, ग्रन्थ साहेब का पाठ कर देता हूँ अर्थात् सतसंग कर देता हूँ और नाम भी दे देता हूँ आदि-2 । पूर्ण संत को ही कथा करने व उपदेश देने का अधिकार होता है और उस कथा का समापन भी वही कर सकता है। चूंकि पूर्ण संत के शब्द में शक्ति होती है। जैसे सुखदेव के शब्द में थी। जैसे कोई सतसंग करे और मान लो उसमें आम की महिमा बताए कि आम बहुत मीठा होता है, फलों का राजा होता है, उसका रंग पीला होता है आदि-2 और यदि कोई आ कर कहे कि ला भाई आम दो। तो वह सतसंग करने वाला कहे कि मेरे पास तो आम नहीं है। फिर लेने वाला कहे कि कहाँ मिलेगा ? उसको जवाब मिले कि पता नहीं। आम तो निराकार है वह दिखाई थोड़े ही देता है। फिर लेने वाला कहेगा कि अरे नादान! जब तेरे पास आम है ही नहीं और न ही तेरे को ये पता कि आम कहाँ से मिलेगा, साथ में कह रहा है कि वह निराकार है तो व्यर्थ में शोर मचाता क्यों फिर रहा है? कहने का अभिप्राय यह है कि तत्वज्ञान रहित व बिना अधिकारी कथा करने वाले और उसके मुख से सुनने वाले सभी नरक के अधिकारी होते हैं।

                यदि कोई व्यक्ति अपने आप ही गुरु बन कर शिष्य बना लेता है तो समझो अपने सिर पर भार चढ़ा लेता है। क्योंकि #परमेश्वर_का_नियम है कि जब तक शिष्य पार नहीं होगा तब तक गुरु को बार-2 जन्म लेते रहना पड़ता है। पूर्ण गुरु अधूरे शिष्यों से छुटकारा पाने के लिए ऐसी लीला किया करते हैं जिससे अज्ञानी शिष्यों को गुरु के प्रति नफरत हो जाती है। जैसे कबीर साहेब जब काशी में प्रकट हुए थे। उस समय कबीर साहेब के चौसठ लाख शिष्य बन गए थे। उनकी परीक्षा लेने के लिए कबीर साहेब ने काशी शहर की एक मशहूर वैश्या को सतसंग ज्ञान समझाने के लिए उसके घर पर जाना शुरु कर दिया। जिसको देख व सुन कर चेलों के दिल में गुरु के प्रति घृणा पैदा हो गई और सभी का अपने गुरु के प्रति विश्वास टूट गया। केवल दो को छोड़ कर सभी शिष्य गुरु विहीन हो गए। सतगुरु गरीबदास जी महाराज की वाणी में प्रमाण है:--

गरीब, चंडाली के चैंक में, सतगुरु बैठे जाय।
चौसठ लाख गारत गए, दो रहे सतगुरु पाय।।
भड़वा भड़वा सब कहैं, जानत नाहिं खोज।
दास गरीब कबीर करम से, बांटत सिर का बोझ।।

     हम आपसे यही प्रार्थना करना चाहते हैं कि सोच विचार कर सौदा करो।

     सामवेद के श्लोक नं. 822 में बताया गया है कि जीव की मुक्ति तीन नामों से होगी। प्रथम ऊँ, दूसरा सतनाम (तत्) और तीसरा सारनाम (सत्)। यही गीता जी भी प्रमाण देती है कि - ऊँ-तत्-सत् और श्री गुरु ग्रन्थ साहेब भी इसी सतनाम जपने का इशारा कर रहा है। सतनाम-सतनाम कोई जपने का नाम नहीं है। यह तो उस नाम की तरफ इशारा कर रहा है जो एक सच्चा नाम है। इसी तरह यह सारनाम भी। अकेला ऊँ मन्त्र किसी काम का नहीं है। ये तीनों नाम व नाम देने की आज्ञा केवल संत_रामपाल_जी_महाराज को उनके गुरुदेव स्वामी रामदेवानन्द जी महाराज द्वारा बकसीस है जो कबीर साहेब से पीढी दर पीढी चलती आ रही है। पहले आप सभी सतसंग सुनो, सेवा करो जिससे आपका भक्ति रूपी खेत संवर जाएगा।

कबीर, मानुष जन्म पाय कर, नहीं रटैं हरि नाम। जैसे कुआँ जल बिना, खुदवाया किस काम।।
कबीर, एक हरि के नाम बिना, ये राजा ऋषभ होए। माटी ढोवै कुम्हार की, घास न डाले कोए।।

                इसके पश्चात् अपने संवरे हुए खेत में बीज बोना होगा। शास्त्रों (कबीर साहेब की वाणी, वेद, गीता, पुराण, कुराण, धर्मदास साहेब आदि संतों की वाणी) के अध्ययन से मुक्ति नहीं होगी। इन सभी शास्त्रों का एक ही सार (निचोड़) है कि पूर्ण मुक्ति के लिए पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के प्रतिनिधि संत(जिनको उनके गुरु द्वारा नाम देने की आज्ञा भी हो) से नाम उपदेश ले कर आत्म कल्याण करवाना चाहिए। यदि नाम नहीं लिया तो -

नाम बिना सूना नगर, पड़या सकल में शोर।
लूट न लूटी बंदगी, हो गया हंसा भोर।।

अदली आरती अदल अजूनी, नाम बिना है काया सूनी।झूठी काया खाल लुहारा, इंगला पिंगला सुषमन द्वारा।।

कृतघ्नी भूले नर लोई, जा घट निश्चय नाम न होई।
सो नर कीट पतंग भुजंगा, चौरासी में धर है अंगा।

                यदि बीज नहीं बीजा तो आत्मा रूपी खेत की गुड़ाई अर्थात् तैयारी करना व्यर्थ हुआ। कहने का अभिप्राय यह है कि इनसे आपको ज्ञान होगा जो कि आवश्यक है। परंतु पूर्ण गुरू द्वारा नाम उपदेश लेना अर्थात् बीज बीजना भी अति आवश्यक है। नाम भी वही जपना होगा जो कि गुरु नानक साहेब ने जपा, गरीबदास साहेब ने जपा, धर्मदास साहेब आदि संतों ने जपा। इसके अतिरिक्त अन्य नामों से जीव की मुक्ति नहीं होगी।

                इसलिए आप सभी ने नाम उपदेश लेकर अपना भक्ति रूपी धन जोड़ना प्रारम्भ करना चाहिए और अन्य सभी को भी बताना चाहिए। जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी। चूंकि न जाने कब और किस समय इस शरीर का पूरा होने का समय आ जाए। गुरु नानक देव जी भी कहते हैं कि-

ना जाने ये काल की कर डारै, किस विधि ढल जा पासा वे।
जिन्हादे सिर ते मौत खुड़गदी, उन्हानूं केड़ा हांसा वे।।

कबीर साहेब कहते हैं कि -

कबीर, स्वांस-स्वांस में नाम जपो, व्यर्था स्वांस मत खोए।
न जाने इस स्वांस का, आवन हो के ना होए।।

सतगुरू सोई जो सारनाम दृढ़ावै, और गुरू कोई काम न आवै।

‘‘सार नाम बिन पुरुष (भगवान) द्रोही‘‘

                अर्थात् जो गुरू सारनाम व सारशब्द नहीं देता है या उसको अपने गुरू द्वारा नाम देने का अधिकार (आज्ञा) नहीं है अर्थात् शास्त्रों के अध्ययन से यदि कोई मनमुखी गुरु ये नाम भी दे देता हो तो भी वह गुरु और उनके शिष्यों को नरक में डाला जाएगा। वह गुरु भगवान का दुश्मन है, विद्रोही है। उसे भगवान के दरबार में उल्टा लटकाया जाएगा।

                अब भक्त समाज में नकली गुरुओं (संतों) द्वारा एक गलत धारणा फैला रखी है कि एक बार गुरु धारण करने के पश्चात दूसरा गुरु नहीं बदलना चाहिए। जरा विचार करके देखो कि गुरु हमारे जन्म-मृत्यु रूपी रोग को काटने वाला वैद्य होता है। यदि एक वैद्य से हमारा रोग नहीं कटता है तो हम दूसरे अच्छे वैद्य(डाक्टर) के पास जाएंगे जिससे हमारा जानलेवा रोग ठीक हो सके। जैसे धर्मदास साहेब के पहले गुरु श्री रूपदास जी थे। लेकिन जब धर्मदास जी को पता लगा कि यह गुरु पूर्ण मुक्ति दाता नहीं है तो तुरंत त्याग कर पूर्ण ब्रह्म परमेश्वर सतपुरुष कबीर साहेब को अपना गुरु बनाया और पूर्ण मोक्ष सत्य लोक में प्राप्त किया। ठीक इसी प्रकार अधूरे गुरु को तुरंत त्याग देना चाहिए।

‘‘झूठे गुरु के पक्ष को, तजत न कीजै वारि‘‘

(गुरु व नाम महिमा की वाणी)

गरीब, बिन उपदेश अचंभ है, क्यों जीवत हैं प्राण। बिन भक्ति कहाँ ठौर है, नर नाहिं पाषाण।।1।।
गरीब, एक हरि के नाम बिना, नारि कुतिया हो। गली-2 भौंकत फिरै, टूक ना डालै को।।2।।
गरीब, बीबी पड़दे रहैं थी, डयोढी लगती बार। गात उघाड़े फिरती हैं, बन कुतिया बाजार।।3।।
गरीब, नकबेसर नक से बनी, पहरत हार हमेल। सुन्दरी से सुनही (कुत्तिया) बनी, सुनि साहिब के खेल।4।
कबीर, हरि के नाम बिना, राजा ऋषभ होए। माटी लदै कुम्हार कै, घास ना डाले कोए।।5।।
कबीर, राम कृष्ण से कौन बड़ा, उन्हांे भी गुरु कीन्ह। तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन।।6।।
कबीर, गर्भ योगेश्वर गुरु बिना, लागा हरि की सेव। कहै कबीर स्वर्ग से, फेर दिया सुखदेव।।7।।
कबीर, राजा जनक से नाम ले, किन्हीं हरी की सेव (पूजा)। कहै कबीर बैकुण्ठ में, उल्ट मिले सुखदेव।।8।।
कबीर, सतगुरु के उपदेश का, लाया एक विचार। जै सतगुरु मिलते नहीं, जाता नरक द्वार।।9।।
कबीर, नरक द्वार में दूत सब, करते खैंचा तान। उनतें कबहु ना छुटता, फिर फिरता चारों खान।।10।।
कबीर, चार खानी में भ्रमता, कबहु ना लगता पार। सो फेरा सब मिट गया, सतगुरु के उपकार।।11।।
कबीर, सात समुन्द्र मसि करूं, लेखनी करूं बनराय। धरती का कागद करूं, गुरु गुण लिखा न जाए।12।
कबीर, गुरु बड़े गोविन्द से, मन में देख विचार। हरि सुमरे सो रह गए, गुरु भजे हुए पार।।13।।
कबीर, गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागुं पाय। बलिहारी गुरु आपने, जिन गोविन्द दिया मिलाय।।14।।
कबीर, हरि के रूठतां, गुरु की शरण में जाय। कबीर गुरु जै रूठजां, हरि नहीं होत सहाय।।15।।

अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखें साधना TV शाम 7.30 बजे...
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Wednesday, 15 January 2020

तत्वदर्शी संत

Jagat guru rampalji
गीता अध्ययन 4 श्लोक 34 मैं जिस तत्वदर्शी संत के बारे मैं लिखा गया है वह तत्वदर्शी संत आज हरीयाणा की पावन  धरती पर विराजमान है और शास्त्र अनुसार साधना बता रहे हैं
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सूक्ष्म वेद में गुरु के लक्षण बताएं हैं.

गरीब ,सतगुरु के लक्षण कहूं मधुरे बैंन विनोद।
 चार वेद छ: शास्त्र 18 बोध।

गुरु के लक्षण चार बखाना प्रथम वेद शास्त्र को ज्ञाना।।
 दूजे हरी भक्ति मन कर्म बानी तीजे समदृष्टि करी जानी।। चौथे वेद विधि सब कर्मा, चार गुरु गुण जानो मर्मा।।

कबीर परमेश्वर जी ने कहां है कि जो सच्चा गुरु होगा उसके 4 मुख्य लक्षण होते हैं।

1. सब वेद तथा शास्त्रों को वह ठीक से जानता है।

2. दूसरे वह स्वयं भी भक्ति मन कर्म वचन  से करता है अर्थात उसकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता।

3. तीसरा लक्षण यह है कि वह सर्व अनुयायियों से समान व्यवहार करता है भेदभाव नहीं रखता।

4. चौथा लक्षण यह है कि वह सर्व भक्ति कर्म वेदो ( चार वेद तो सब जानते हैं ऋग्वेद, यजुर्वेद ,सामवेद, अथर्ववेद तथा पांचवा वेद सूक्ष्म वेद सरवन वेदो) के अनुसार करता और कराता है.


Jagat guru rampalji Maharaj is giving freedom Azaadi!
from theft, dowry, corruption, intoxication, Tobacco
He is the true liberator of the world.
must watch Sadhana TV at 7:30 pm.

सभी 📚वेदों,शास्त्रों और पुराणों पर आधारित ज्ञान से तत्व दर्शी संत सतगुरु रामपाल जी ने सिद्ध कर दिया है कि परमात्मा कौन है?कहाँ रहता है?जिसकी 📿सतभक्ति से जीव जन्म मरण के चक्कर से छूट जाता है.


🔭श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 15 श्लोक 1 - 4, 16, 17 में कहा गया है जो संत इस संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष के सभी विभाग बता देगा वह पूर्ण गुरु/सच्चा सद्गुरु है।
यह तत्वज्ञान केवल संत रामपाल जी महाराज ही बता रहे हैं।


और गीता में यह भी कहा गया है कि जो गीता मैं उल्टा लटका हुआ संसार रूपी रुक्ष है उसके जड़ से लेकर पत्ते तक जो भी संत जानकारी देगा वही तत्वदर्शी संत है और यह ज्ञान संत रामपाल जी महाराज जी ने बताया है।


Jagat guru rampalji यह मनुष्य जन्म आपको बहुत युगों के बाद प्राप्त होता हैइसलिए आप तत्व दर्शी सन्त की शरण में जाकर उनकी बताई भक्ति करके मोक्ष प्राप्ति करनी चाहिये।

गीता अध्याय 8 श्लोक 5 तथा 7 में अपनी भक्ति करने को कहा है तथा युद्ध भी कर , निःसंदेह मुझे प्राप्त होगा , परंतु जन्म - मृत्यु दोनों की बनी रहेगी ।
 पूर्ण परमात्मा तो कोई और है .
उसी की जानकारी  Sant rampalji maharaj दे रहे हैं। 
पूर्ण संत का सत्संग सुनने से आत्मा को शांति मिलती है। सत्संग से आत्मा और परमात्मा ज्ञान का पता चलता है।

तत्वदर्शी संत के सत्संग से पता चलता है कि परमात्मा खतरनाक बीमारी को भी खत्म कर देता है। यजुर्वेद अध्याय 5 मन्त्र 32 में प्रमाण है कि कबीर परमात्मा पाप के विनाशक हैं।

जब तक सच्चे गुरु (सतगुरू) की प्राप्ति नहीं होती है तब तक गुरु बदलते रहना चाहिए।

 "जब तक गुरु मिले ना सांचा।
तब तक करो गुरु दस पांचा।।" 


🌿जिस परिवार में पूर्ण संत के सत्संग चलते हैं वहां मुसीबतें नहीं आती और वह परिवार सुखमय जीवन जीता है।

गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है कि हे अर्जुन तू सर्व भाव से उस परमेश्वर की शरण में जा, उस परमात्मा की कृपा से ही परम शांति को प्राप्त होगा तथा शाश्वत् स्थान अर्थात् सनातन परम धाम अर्थात् कभी न नष्ट होने वाले सतलोक को प्राप्त होगा। तु उसकी जानकारी तत्वदरशी संत से पुछ
पुरी दुनिया में True Guru sant rampalji maharaj ji है।